ओलंपियाड की शुरुआत कक्षा से नहीं हुई, बल्कि चुनौतियों के प्रति प्रेम से हुई थी। पहली अंतर्राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड वर्ष 1959 में रोमानिया में आयोजित की गई थी। इसमें अलग-अलग देशों के छात्र एक साथ आए, ताकि वे दबाव में नहीं बल्कि जुनून के साथ समस्याएँ हल करें, गहन चिंतन करें और नई ऊँचाइयों को छुएँ। यही एक आयोजन एक वैश्विक आंदोलन की शुरुआत बना।
समय के साथ इसमें और भी विषय जुड़ते गएजैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान और सूचना विज्ञान (इन्फ़ॉर्मेटिक्स)। ये प्रतियोगिताएँ अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान ओलंपियाड्स के नाम से जानी जाने लगीं और इन्होंने दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों को आकर्षित किया।
भारत ने इस वैश्विक ओलंपियाड यात्रा में 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में कदम रखा। माना जाता है कि भारत की आधिकारिक भागीदारी गणित ओलंपियाड से शुरू हुई। इस दिशा में होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र (HBCSE) ने अहम भूमिका निभाई यह न केवल छात्रों को प्रशिक्षण देता है, बल्कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की इन प्रतियोगिताओं में भेजने का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
1989 में, भारत ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (IMO) में भाग लिया। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर की टीम एक संरचित और बहु-स्तरीय प्रक्रिया के माध्यम से चुनी गई थी। यह कदम इस बात का प्रतीक था कि देश अब अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक प्रतियोगिताओं के लिए प्रतिभा को निखारने के लिए गंभीर रूप से प्रतिबद्ध है।
इस प्रयास को संभव बनाने में मुंबई स्थित होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र (HBCSE) ने अग्रणी भूमिका निभाई। राष्ट्रीय उच्चतर गणित बोर्ड (NBHM) और परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के मार्गदर्शन में, HBCSE आधिकारिक नोडल एजेंसी बना, जो भारतीय छात्रों को विभिन्न विज्ञान और गणित ओलंपियाड्स के लिए प्रशिक्षित करने, चयन करने और मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी निभाता है।
भारत की भागीदारी केवल गणित तक सीमित नहीं रही। जल्द ही देश ने भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान और सूचना विज्ञान (Informatics) के अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड्स में भी टीमें भेजना शुरू किया। HBCSE प्रत्येक विषय के लिए राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं और प्रशिक्षण शिविरों का समन्वय करता है।
इन विषयों में चयन की बहु-स्तरीय प्रक्रिया अपनाई जाती है:
- छात्र सबसे पहले राष्ट्रीय मानक परीक्षाओं (NSEs) में भाग लेते हैं, जो भारत के सैकड़ों केंद्रों पर आयोजित होती हैं।
- चयनित छात्र भारतीय राष्ट्रीय ओलंपियाड्स (INOs) में आगे बढ़ते हैं।
- सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्रों को HBCSE में आयोजित ओरिएंटेशन-कम-सेलेक्शन कैंप्स (OCSCs) के लिए आमंत्रित किया जाता है, जहाँ उन्हें उन्नत प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिलता है।
- अंततः, एक छोटी सी टीम का चयन किया जाता है जो भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करती है।
यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि छात्रों को हर कदम पर सहयोग मिलेसिर्फ प्रतियोगिता के लिए नहीं, बल्कि व्यक्तिगत विकास और सीखने के लिए भी।
1996 में, भारत ने गर्व के साथ मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (IMO) की मेजबानी की और वैश्विक ओलंपियाड समुदाय में अपनी भूमिका और मजबूत की। आने वाले वर्षों में, भारत ने अन्य अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड्स जैसे IBO (जीव विज्ञान) और IOAA (खगोल विज्ञान और खगोलभौतिकी) की भी मेजबानी की।
हर साल, देशभर के स्कूलों से लाखों छात्र राष्ट्रीय ओलंपियाड परीक्षाओं में बैठते हैं। लेकिन इनमें से केवल कुछ सौ छात्र ही अंतिम चरण तक पहुँच पाते हैं। यही कारण है कि यह एक छात्र के जीवन की सबसे प्रतिस्पर्धी और प्रतिष्ठित शैक्षणिक यात्राओं में से एक मानी जाती है।
आज, भारतीय छात्र अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड्स से लगातार स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। कई पूर्व ओलंपियाड प्रतिभागियों ने बाद में शैक्षणिक और शोध के क्षेत्र में वैश्विक पहचान हासिल की है।